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काजी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
अ.क़ाज़ी
मुसलमानों के धर्म-कर्म, रीति-नीति एवं न्याय की व्यवस्था करने वाला अधिकारी।
  • उदा.--मुल्ला काजी मंगहु मयाद, फतवा लीजै मेटन फसाद।--ऊ.का.
  • कहावत--काजीजी! दुबळा क्यों? सहर रै सोच में--दुनिया भर की व्यर्थ की चिंता करने वाले के प्रति.
  • कहावत--2.काजीजी री कुत्ती कैनैठा (किणनै ठा) कठै जावती व्यावसी--घर-घर भटकने वाले मनुष्य या ग्राहक पर.
  • कहावत--3.काजीजी री कुत्ती मरी जद सगळा बैठण गया, काजीजी मर्‌या जद कोय कौ गयौ नी--जब तक मनुष्य के पास अधिकार होता है तभी तक लोग उसका आदर करते हैं।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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