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गांम  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.ग्राम
गाँव, देहात।
  • उदा.--ईंदा ऊदा नयर, मास पख त्रास विमाळे। गांम गांम मैल्हांण, वहै आपांण संभाळे।--रा.रू.
  • कहावत--1.गांम करै ज्यां गिंवार भी करै--समूह या समा के लोगों के देखादेखी कार्य करने वाले के प्रति.
  • कहावत--2.गांम खनै आयनै खोळा टांकणा--गांव के पास आकर कस कर तैयार होना। डरपोक व्यक्ति के लिए जो अपने गांव के पास आकर अपने को बहादुर बताता है.
  • कहावत--3.गांम मांये घेर नी उजाड़ मांये खेत नी--न गांम में घर है न जंगल में खेत है। उस व्यक्ति के प्रति जिसके पास न रहने को घर है और न बोने को खेत है.
  • कहावत--4.गांम रौ नांम खारी तौ मीठौ कांई--गाँव का नाम ही खारा है तो वहाँ मीठा क्या होगा? जैसा व्यक्ति होगा वैसे ही उसके गुण होंगे.
  • कहावत--5.जिण गांम नहीं जांणौ उणरौ मारग ही क्यूं पूछणौ--जिस गांव को जाना ही नहीं है, फिर उसका रास्ता पूछने से क्या अभिप्राय। जिस कार्य को करना ही नहीं है, उसके संबंध में जानकारी करने से क्या लाभ।
  • कहावत--6.डूम रौ पांमणौ गांम नै भारी--ढोली के घर पर आया हुआ मेहमान गाँव वालों के लिए बोझा होता है। निर्धन व्यक्ति व्यय आदि के कारण उसके पड़ोसी एवं संबंधियों के लिए बोझा होता है.
  • कहावत--7.रोवतौ फिरै गांम वांभी फिरै ज्यूं--अधिक इधर-उधर घूमने व चक्कर लगाने वाले के प्रति।
यौ.
गांमखेर, गांम-गांमतरौ, गांम-गोचर।
(अल्पा.--गांमड़ियौ, गांमड़ौ)


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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