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धणी     (स्त्रीलिंग--धणियांणी)  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.धनिक:
1.ईश्वर, परमेश्वर (ह.नां.)
  • उदा.--मन में फेर धणी री माळा, पकड़ै नैंह जमदूत पलौ। मिळै नहीं बकणा सूं माया, भाया कम बोलबौ भलौ।--बां.दा.
2.स्वामी, मालिक।
  • उदा.--1..तद 'मुकनै' 'कल्याण' रै, और न दक्खी बांण। तेड़ धरा आबू तणी, धणी दिखायौ आंण।--रा.रू.
  • उदा.--2..आउवा रा ठाकर थांरी घोड़ी घूमर घाले ओ। गौरिया फरमावै धणियां कांई मरजी ओ छूट्टी देवौ तौ। हां ओ छूट्टी देवौ तौ होळी री गैर लड़नै देखां औ।--लो.गी.
यौ.
धणी--धोरी।
3.पति, खाविंद (डिं.को.)
  • उदा.--1..गठजोड़ा सहत वसत्र केसर गरक, पहर अत्र अगरजौ रिव पराथै। दुछर छत्रकुळ छळां धसी सीसोदणी, सुरामुख झळां मझ धणी साथै।--ऊमेदजी सांदू
  • उदा.--2..गिरवर मोर गहक्किया, तरवर मूंक्या पात। धणिया धण सालण लगा, वूठै तौ बरसात।--ढो.मा.
4.राजा, नृप।
  • उदा.--1..ओ 'अगजीत' आगियाकारी, पाई रेख पटारी। सुत 'कुसळेस' तूझ नै सारी, धणियां सूंपी लाज धरा री।--नींबाज ठा, अमरसिंह ऊदावत रौ गीत
  • उदा.--2..अर थे बाई मांगौ छौ; अर जो म्हे द्यां, अर बाई रै छोरू हुवै सो? ताहरां चवंडौजी बोलिया--'छोरू हुवै सो चीत्रौड़ रौ धणी।--नैणसी
5.देखो 'धनु' (1) (अल्पा., रू.भे.)
  • उदा.--मौजूद हाथियां ऊपर सब आदमी भला भला तीरमदाज धणी जळंधरी धांमण रा कांमठा, सुही रा तीर, तिण रै सवा--सवा पाव रा भाला, तीन--तीन आंगळ चौड़ा, बिलांत भर लांबा लियां इसा इसा जवांन हाथियां चढ़ साम्हां हुवा।--डाढाळा सूर री बात
6.देखो 'धनी' (रू.भे.) (डिं.को.)
रू.भे.
धणि, धणिय, धणीय, धिणी।
सं.स्त्री.--


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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