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भाई  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
भ्रातृ
1.किसी जीवधारी के संबंध कें विचार से वह नर प्राणी जो उसी के माता-पिता या पिता से उत्पन्न हुआ हो। (अ.मा., ह.नां.मा.)
  • उदा.--अर मोकळ बंस रा अवतंस भाइर् माधौदास नूं बडे बेग खास रुक्को दे'र हजूर बुलायौ।--वं.भा.
2.एक ही परिवार या वंश की पीढ़ी में उत्पन्न दूसरा पुरुष।
  • उदा.--1..अर चांचाउत्त धीरदेव नूं मारियां केड़े तिकण रा भाई बेटां नूं मंडणगढ़ रा सात ग्रांम देर बेघम बंबावदा सूधी चीतोड़ रौ थांणौ जमाइ दीधौ।--वं.भा.
3.अपनी जाति या समाज का कोई व्यक्ति, बिरादरी।
  • उदा.--1..लोक चुगल कांने लगे, घू घू बोल्यौ गेह। भायां सूं भेळप नहीं, विपत लिखी त्यां वेह।--बां.दा.
  • उदा.--2..सोनग के भाई-बंध, भतीजे दळ आगळ। सूरां तैंसूरा, महापूरां से अदलू।--रा.रू.
4.मित्र, दोस्त।
  • उदा.--डाफाचूक व्हियोड़ा देंत री उण वगत रंगत देखनै राजकंवर नै हंसी आयगी। हंसतौ ई वौ बोल्यौ--म्हारा भाइर्, इण वास्तै इततौ दुख अर अचुंभौ करण री किसी बात, वरी रा वेस में लड़ाझूम व्हियोड़ी वा मूंडकी तौ आ म्हारै पाखती ऊभी।--फुलवाड़ी
5.पंवार वंश की एक शाखा या इस शाखा का व्यक्ति।
6.नागशाही साधुओं की एक शाखा जो प्राय: गुरुद्वारों में ग्रंथ साहिब के पुजारी होते हैं।
7.बोल-चाल की भाषा में छोटे या समवयस्क व्यक्ति के लिए प्रयुक्त सम्बोधनवाचक शब्द। ज्यूं--अरे भाई! थोड़ौ अठी आइजै।
  • उदा.--भवण कवण रौ हे रे भाइर्, जीव तिसां मरतां रौ जाई। पांणी तौ हूं देत पिलाई, ठांव ढेढ रौ हे ठकुराई।--ऊ.का.
8.घरेलू पशुओं के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला प्यार-सूचक शब्द।
  • उदा.--खास ठगां रै बारणै आयनै बळदां री रासां ढीली करी। पुचकारतौ बोल्यौ--हौ, भाई हौ।--फुलवाड़ी
1.प्रशंसा सूचक शब्द, धन्य, वाह।
  • उदा.--अकस्मात मिळियौ इंदोखै, नैण हीण इक नाई। दोनां हाथ जोड़ दुरगा नै, दुरब दसा दिखाई। दया विचार आंख दे दीनी भले भले भाइर् भाई।--मे.मा.
2.आश्चर्य सूचक शब्द। 3 घृणा द्योतक शब्द।
रू.भे.
भइ, भई, भयी, भाइ, भाउ, भाऊ, भाय, भायर।
अल्पा.
भाइयौ, भाइड़उ, भाईड़ौ, भाईयौ, भैयौ, भायौ।
अव्य.--


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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