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मुखड़ौ  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
देखो 'मुख' (अल्पा., रू.भे.)
  • उदा.--1..राम राय जिण बन बसै हो, सो बन धन धन जांण। इक मुखड़ौ प्रभु-गुण घणा हो, किण विध करूं वखांण।--गी.रां.
  • उदा.--2..आंख्यां नहीं चौखै म्हारी जच्चा मुखड़े नहीं बोलै जी।--लो.गी.
  • उदा.--3..बिडरी हिरणींसी फिरणी बिजकाती। मुखड़ौ मुसकाती जोरौ जतळाती।--ऊ.का.
  • उदा.--4..मुखड़ौ कुम्हळायौ भोजन बिन भारी। पय पय करतोड़ी पोढ़ी पिय प्यारी।--ऊ.का.


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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