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रांणी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.राज्ञी, प्रा.राणी
1.किसी राजा या राणा की स्त्री, रानी।
  • उदा.--1..वडै वंस ऊपनी वडी रांणी भाटियांणी, बोली राजा हूंत जिका पूरै व्रत जांणी।--रा.रू.
  • उदा.--2..गिरमीं गिरमीं में गिरवै मुड़ियोड़ा, जांन्है डैरूं ज्यूं गोडा जुड़ियोड़ा। कुलटा साची व्है ठुकरांणी कूड़ी। पड़दै पड़दायत रांणी सूं रूड़ी।--ऊ.का.
2.ताश का वह पत्ता जिस पर स्त्री की तस्वीर हो।
3.स्वामिनी, मालकिन।
4.एक प्रकार का वर्षा ऋतु में होने वाला कीट विशेष।
रू.भे.
रांणि।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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