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अंटी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.अंड या अष्ठि, प्रा.अट्ठि
1.उँगलियों के बीच की जगह.
2.कमर पर रहने वाली धोती की लपेट या मंडलाकार ऐंठन जिसमें कभी-कभी लोग रुपया-पैसा रखते हैं। क्रि.प्र.--देणी-मारणी-लगाणी।
  • कहावत--धन अंटे विद्या कंठै--धन वही काम आयेगा जो अपनी अंटी में है तथा विद्या वही काम आयेगी जो स्वयं के कंठों में स्थित है।
3.शरारत, बदमाशी.
4.तर्जनी या अंगूठे के पास की उँगली के ऊपर मध्यमा या बीच की उँगली चढ़ाकर बनाई गई एक मुद्रा (बालक).
5.भागते या चलते हुए पीछे से किसी के पैर में पैर द्वारा मारी गई टक्कर, लत्ती.
6.सूत या रेशम की गुंडी.
7.सूत लपेटने की लकड़ी.
8.विरोध, बिगाड़, लड़ाई।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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