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अंतर  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
[सं.]
1.भेद, फर्क, अलगाव, विभिन्नता। क्रि.प्र.--करणौ-देणौ-पड़णौ-होणौ।
  • कहावत--मिनखां मिनखां अंतर, केई हीरा केई पत्थर--मनुष्यों में अच्छे व बुरे दोनों होते हैं।
2.मध्यम की दूरी, फासिला, अवकाश.
3.दो घटनाओं के बीच का काल.
4.ओट, आड़, व्यवधान। क्रि.प्र.--करणौ-लाघणौ-पड़णौ।
5.समय.
6.परदा.
7.छिद्र, छेद, रंध्र (वं.भा.)
[अ.इत्र]
8.इत्र।
[सं.अंतस]
9.हृदय, अंतःकरण।
  • उदा.--जिकौ दोही पिता पुत्रां रौ मिळाप सुणि अंतर में एक जांणि तुरकां रौ तोम त्रासियौ--वं.भा.
[सं.अंतःपुर]
10.अंतःपुर, रनिवास (ना.डिं.को.)
[सं.अंत्र]
11.आँत.
[रा.]
12.पानी, जल।
वि.
अन्तर्धान, गायब। क्रि.प्र.--करणौ-होणौ।
क्रि.वि.
अन्दर, भीतर, बीच में।
  • उदा.--डंकि निसीथ रुक्ख चढ़ि डाकी, अंतर दुरग गयौ एकाकी।--वं.भा.


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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