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अंबर  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.वस्त्र, कपड़ा, पट।
  • उदा.--धरती पड़्‌यौ ढिंगास अंबर अंबर सूँ अड़्‌यौ, आयौ पूरण आस सही बजाजी साँवरौ।--रांमनाथ कवियौ.
2.आकाश, आसमान।
  • कहावत--1.अंबर दूझै भूत कमावै, आकासी धन आपे आवै--सब काम मुप्त में होकर बिना प्रयास अर्थ-प्राप्ति होती है.
2.कपास.
3.एक प्रकार का इत्र.
4.आमेर नगर.
5.अमृत.
6.उत्तरी भारत का एक प्राचीन प्रदेश.
7.बादल, मेघ [सं.आम्र]
8.आम का फल तथा उसका वृक्ष।
  • उदा.--'अंबर मोरीजै छै। कूंपळां फूटीजै छै। वणराई मंजरी छै।--रा.सा.सं.


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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