सं.स्त्री.
अ.अक्ल
बुद्धि, समझ, ज्ञान। पर्याय.--ग्यांन, धी, बुद्धि, मति, समझ। क्रि.प्र.--आणी, गमाणी, जाणी, देणी, रे'णी, होणी।
- मुहावरा--अकल खरच करणी--समझ से काम लेना.
- मुहावरा--2.अकल घास चरण नै जावणी--बुद्धि का अभाव।
- मुहावरा--3.अकल चकराणी--हैरान होना.
- मुहावरा--4.अकल देणी--समझाना.
- मुहावरा--5.अकल दौड़ाणी--सोच-विचार करना, गौर करना.
- मुहावरा--6.अकल भांग खाणी--मूर्खता का काम करना.
- मुहावरा--7.अकल माथै भाटा पड़णा--बुद्धि भ्रष्ट होना.
- मुहावरा--8.अकल मारी जाणी--बुद्धि भ्रष्ट होना.
- मुहावरा--9.अकल रौ अजीरण होणौ--बेवकूफ होना.
- मुहावरा--10.अकल रौ दुसमण--बेवकूफ, मूर्ख.
- मुहावरा--11.अकल रौ पुतळौ--मूर्ख (व्यंग्य)
- मुहावरा--12.अकल रौ पूरौ (व्यंग्य) मूर्ख.
- मुहावरा--13.अकल सूं भारियां (बोझियां) मरै है--बेवकूफ होना।
- कहावत--1.अकल उधारी ना मिळै, हेत न हाट बिकाय--बुद्धि उधार नहीं मिलती, वह अपनी ही काम देती है तथा प्रेम बाजार में पैसे से प्राप्त नहीं किया जा सकता।
- कहावत--2.अकल ऊमर ऊपर नहीं है--बुद्धि का आयु से संबंध नहीं है अर्थात् कम आयु वाला व्यक्ति भी बुद्धिमान हो सकता है.
- कहावत--3.अकल तौ अड़नै ई कौ निकळी नी--नितांत बेवकूफ.
- कहावत--4.अकल बड़ी'क भाग--बुद्धि भाग्य से बड़ी है.
- कहावत--5.अकल बड़ी'क (कै) भैंस--भैंस से बुद्धि बड़ी है.
- कहावत--6.अकल रै लारै डांग (लट्ठ) ले'र दौड़णौ--बुद्धिमानी की बात न सुनना व मूर्खता का काम करना.
- कहावत--7.अकल रौ अजीरण--आवश्यकता से अधिक बुद्धि होना (व्यंग्य) मूर्ख होना.
- कहावत--8.अकल सरीरां ऊपजै दियी न आवै सीख--अकल अपने आप आती है, सिखाने से नहीं आती.
- कहावत--9.अकल सरीरां ऊपजै दीया आवै (लागै) डांम--बुद्धि सिखाई हुई नहीं आती, दिये तो डांम (देखो डांम) लगते हैं.
- कहावत--10.अकल सूं खुदा पिछाणीजै--बुद्धि से परमात्मा प्राप्त होता है अर्थात् बुद्धि से बड़ी से बड़ी समस्या समझी जा सकती है.
- कहावत--11.अकल हीयै ऊपजै दीयां लागै (आवै) डांम--बुद्धि सिखाई हुई नहीं आती; दिये हुए तो डांम (देखो डांम) लगते हैं.
- कहावत--12.आप री अकल नै घोड़ा ई नहीं नाबड़ै (पूगै)--बहुत बुद्धिमान होना.
- कहावत--13.एक मण अकल सौ मण इलम--विद्या की अपेक्षा बुद्धि बड़ी है.
- कहावत--14.नकल में अकल री जरूरत है--बिना बुद्धि के नकल में भी काम नहीं चल सकता.
- कहावत--15.मूरख री अकल माथे में होवै--मूर्ख को पीटने पर ही बुद्धि आती है.
- कहावत--16.लुगायां में अकल व्है तौ जांन में क्योंनी ले जावै--अगर स्त्रियों में भी बुद्धि होती तो उन्हें बारात में ही साथ क्यों न ले जाते अर्थात् स्त्रियों में बुद्धि नहीं होती.
- कहावत--17.सूतौ खावै हिंगतौ गावै उण में अकल कदे नी आवै--जो आदमी सोता हुआ खाता है तथा शौच जाते गाता रहता है वह सदा मूर्ख होता है।
रू.भे.
(अक्कल, अक्कलि, अक्खल, अकलि, अकिल)
यौ.
अकलदार, अकलनधांन, अकलमंद, अकलवांन (अकलड़ी-अल्पा.)