HyperLink
वांछित शब्द लिख कर सर्च बटन क्लिक करें
 

अजक  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
सं.अ+जक=चैन--रा.
1.बेचैन, व्याकुल.
2.चंचल.
  • उदा.--जसा हर करी मचकाय जकड़ीदणी। आठ पौहरां रहै अजक ओड़ीदणी।--महादांन महड़ू.
3.सतर्क।
  • उदा.--धणी अजकां तणी रहै सजकी धरा।--महादांन महड़ू
1.घबराया हुआ.
2.चंचलता से।
  • उदा.--फेंकै अजक गुलाल करंती कांम जतन रा।--मेघ.
  • उदा.--खुर सुचि झमक चकमक किलक डक लगि अजक चउ चक पुलक सक कर धमक पखरक अरक रज ढक आजि।--वं.भा.
क्रि.वि.--
सं.स्त्री.
व्याकुलता।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

Project | About Us | Contact Us | Feedback | Donate | संक्षेपाक्षर सूची