सं.पु.
सं.
1.बहुत मोटी जाति का एक साँप। इसके दाँतों में विष नहीं होता किन्तु बकरी, हिरन आदि को समूचा निगल जाता है।
- कहावत--अजगर करै न चाकरी, पंछी करै न कांम। दास मलूका कह गये, सब के दाता रांम.
- कहावत--2.अजगर पड़ी उजाड़ में, दादा देवणहार--अजगर कहीं परिश्रम करने नहीं जाता परन्तु दाता परमात्मा उसे खाद्य पहुँचा देता है--आलसी व्यक्ति पर व्यंग से।
2.आलसी, उद्यमहीन व्यक्ति।