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अजगर  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.बहुत मोटी जाति का एक साँप। इसके दाँतों में विष नहीं होता किन्तु बकरी, हिरन आदि को समूचा निगल जाता है।
  • कहावत--अजगर करै न चाकरी, पंछी करै न कांम। दास मलूका कह गये, सब के दाता रांम.
  • कहावत--2.अजगर पड़ी उजाड़ में, दादा देवणहार--अजगर कहीं परिश्रम करने नहीं जाता परन्तु दाता परमात्मा उसे खाद्य पहुँचा देता है--आलसी व्यक्ति पर व्यंग से।
2.आलसी, उद्यमहीन व्यक्ति।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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