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अजवांण, अजवांणी, अजवाइन, अजवायण, अजवायणि, अजवायन  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.यवानिका
सारे भारत में, विशेष कर बंगाल में, लगाया जाने वाला एक पौधा विशेष। इसके बीजों में एक विशेष प्रकार की महक होती है तथा स्वाद में तीक्ष्ण होते हैं। ये मसाले और दवा के काम आते हैं। भभके पर उतारने से इनमें से अर्क (अमूम का पानी) और तेल निकलता है।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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