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अठे
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
क्रि.वि.
यहाँ।
कहावत--
1.अठे कहिं मकिया खावण नै पदारिया हौ--यहाँ आराम के लिए नहीं आये, कुछ काम कीजिए।
कहावत--
2.अठे कहिं धरने भूल गया हौ?--बार-बार यहाँ क्यों आते हो, क्या यहाँ कोई वस्तु रख कर भूल गए हो?
कहावत--
3.अठे कहिं टक्का भंगण नै है--यहाँ पैसा खर्च करने की बात मत करो।
कहावत--
4.अठे कहिं लोबौ लेवण ने पदारिया--यहाँ किस लाभ की आशा से आए हो? यहाँ लाभ की आशा करना व्यर्थ है।
कहावत--
5.अठे किसा नागा नाचै है?--यहाँ कौनसा असभ्य कार्य हो रहा है?
कहावत--
6.अठे किसी बांदरी ब्याई है--यहाँ कोई अद्भुत कार्य थोड़े ही हो रहा है।
कहावत--
7.अठे किसा सोन्यया नीपजै--यहाँ सोने के सिक्के पैदा नहीं होते, यहाँ कोई विशेष लाभ नहीं है।
कहावत--
8.अठे किसौ रुळि रौ जोड है?--देखो कहा.-11.
कहावत--
9.अठे किसौ नाथी रौ बाड़ौ है--यहाँ कौनसा चकला समझ रखा है।
कहावत--
10.अठे किसौ नांनांणौ है? यहाँ कौनसा तुम्हारा ननिहाल है जो तुम कुछ भी करने या खाने-पीने के लिए स्वतन्त्र हो?
कहावत--
11.अठे किसौ रुळि रौ जोड देखियौ--यहाँ कौनसा बिना मालिक का लावारिस माल देखा है, जो लेने का प्रयत्न कर रहे हो।
कहावत--
12.अठे की हेमांणी (गाडियोड़ी) गाडी है? यहाँ क्या सोने का खजाना गड़ा है?
कहावत--
13.अठे कीं आँना तूटै है--इस व्यक्ति में कुछ विशेष सार नहीं है।
कहावत--
14.अठे जोईजै जका उठै जोईजै--भले आदमियों की चाह लोक-परलोक में सर्वत्र होती है।
अठे
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व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
क्रि.वि.
यहाँ, इस जगह पर (देखो 'अटे' रू.भे.)
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
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