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अफर  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
1.पृष्ठ भाग, पीठ।
  • उदा.--अफर खळां आंणण नर अवरां, दीठौ जिकां बिलागौ दोख--तेजसी खिड़ियौ
2.शत्रुता, द्वेष।
  • उदा.--उदीयासींघ लियण आगाहठ इहगां सूं मांडी अफर।--दुरसौ आढ़ौ
1.वापस न मुड़ने वाला, न हारने वाला.
2.नहीं फाड़ा जाने वाला।
वि.--


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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