सं.पु.
सं.
1.देवता।
- उदा.--अमर वडे तेतीस कोड़, जस नांम जपंदे।--केसोदास गाडण (डिं.को.)
10.लिंगानुशासन नामक प्रसिद्ध कोश के रचयिता अमरसिंह जो विक्रमादित्य की सभा के नवरत्नों में थे.
11.उनचास पवनों में से एक.
12.राजस्थानी के वेलिया सांणोर छंद का एक भेद विशेष जिसके प्रथम द्वाले में 38 लघु 13 गुरु कुल 64 मात्राएं तथा इसी क्रम से शेष द्वालों में 38 लघु, 12 गुरु कुल 62 मात्राएं होती हैं। (पिं.प्र.)
13.इकतीस मात्रा का एक मात्रिक छंद-विशेष (ल.पिं.)। वि.--जो न मरे, चिरंजीवी, नित्य, चिरस्थायी।
- उदा.--आतम पियां अजांण ही, अमर करै अमरत्त।--ह.र.