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अमोल, अमोलक, अमोलख, अमोलिक, अमोल्य  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.पु.
सं.अमूल्य, अमूल्यक
देखो 'अमूल्य'।
  • उदा.--1..वाल्हौ रूंख मंदार सबखे फूलां भरियौ। ऊभौ जेथ अमोल, मौ धण बाछल हरियौ।--मेघ.
  • उदा.--2..खग जड़ाव भारिया कितांई सिरपाव अमोलक।--रा.रू.
3.ओगण मेटणहार, अमोलख ओखद इणमें।--दसदेव
4.तठा उपरांति करि नै सराफ बजाज जोहरी दलाल भांति भांति रा बाब, भांति भांति रा पदारथ, भांति भांति री अमोलिक वसतां मोलावीजै छै।--रा.सा.सं.।
5.रिध सोव्रन मोती रतन, वसन अमोल्य विसाह।--रा.रू.


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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