HyperLink
वांछित शब्द लिख कर सर्च बटन क्लिक करें
 

अरण  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.अरण्य
1.अरण्य, वन, जंगल (अ.मा.)
  • उदा.--अरण आग्या करी मूझ नायक अवध, अवध वीताय नै वेग आवां।--र.रू.
2.सूर्य्य (अ.मा.)
  • उदा.--किप हड़मत विना समंद कुण कूदै, अरण विना कुण गमै अंधार।--तेजसी खिड़ियौ
3.सूर्य के सारथी जो गरुड़ के ज्येष्ठ भ्राता हैं--संपाति और जटायु इनके पुत्र थे.
4.गुड़.
5.संध्याराग.
6.आक, मंदार.
7.अव्यक्त राग.
8.कुष्ट भेद.
9.गहरा लाल रंग, कुंकुंम, सिंदूर.
10.माघ मास का सूर्य [रा.अ+सं.रण]
11.युद्ध।
  • उदा.--ईस अरधंग सहत खड़ा जोबा अरण।--जवांनजी आढ़ौ
  • उदा.--वेदी छै सु रतन जड़ित छै। नीला बांस छै। अरजन (अरण?) कहतां रूपा का कळसां कौ वेह छै।--वेलि.टी.
13.लोहे की बनी एक चौकोर छोटी चौकी जिस पर आग में तपाकर धातु को पीटा जाता है। वि.[सं.अरुण] लाल, सुर्ख.
  • उदा.--आग झाळ चख अरण, निमख नह कोप निवारै।--आसौ बारहठ
[सं.अरुण]
सं.स्त्री.
12 रौप्य, चाँदी।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

Project | About Us | Contact Us | Feedback | Donate | संक्षेपाक्षर सूची