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शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.शत्रु, बैरी.
2.लग्न से जन्मकुंडली में छठा स्थान (फलित ज्योतिष).
3.मनुष्य के आंतरिक शत्रु यथा--काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और मात्स्यर्य.
4.पहिया, चक्र। अव्य.--और।
उदा.--
देखि जठांणी लागौ छइ जेठ। मूखी कुंमळाणौ
अरि
सूकइ छइ होठ।--वी.दे.
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
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