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अवगत  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
सं.
1.विदित, ज्ञात, जाना हुआ, परिचित।
  • उदा.--तू अवगत अनाथनाथ तू अकथ कहांणी।--केसोदास गाडण
2.नीचे गया हुआ, गिरा हुआ.
3.जो न जाना जा सके। देखो 'अवगति'।
4.विचित्र। सं.पु.--
1.विष्णु.
2.ईश्वर (ह.नां.)।
  • उदा.--निंदा नेता री भव भव में भूंडी, बिद्या बेता बिण अवगत गत ऊंडी।--ऊ.का.
3.वेग (अ.मा.)
4.लीला, रचना।
  • उदा.--रांण राजड़ जिसा मरै वरसां हुय सतर, देखौ अवगत देव, हुए थारा दिन इतरा।--अरजुणजी बारहठ


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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