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अवध  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
1.एक प्राचीन प्रांत। इसकी राजधानी अयोध्या थी। [सं.आयुध]
2.अस्त्र-शस्त्र।
  • उदा.--तिण में रुड़ा रजपूत तिकै सरग रा उतावळा वैकूंठां लोड़ाऊ अवधां विरदां रा वहणहार।--डाढाळा सूर री बात
3.अवधि।
  • उदा.--आविया उमड़ घणस्यांम बीती अवध। आविया नहीं घणस्यांम आली।--बां.दा.
4.अयोध्या नगर।
  • उदा.--एड़ी अवध उजाड़ मती, सियावर ने तू वन म्हां निकाळ मती।--गी.रां.
  • उदा.--ज्यारत करण वासतै विधवा अन्य पुरख सूं अवध करि निकाह पढ़लै।--बां.दा.
सं.स्त्री.[सं.अवधि]
क्रि.वि.
अल्प समय के लिए, कुछ काल के लिए।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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