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अविअट, अविअट्ट, अविअट्ठ, अविआट  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.अट्ट=अतिक्रमण हिंसनयोः अभि+अट्ट= अविअट्ट
1.युद्ध।
  • उदा.--काळै अजुआळौ किऔ, आवि दळां अविअट्ट।--वचनिका
2.वीर, योद्धा।
  • उदा.--समराट, पतिपाट, अविआट खत्रवाट साची--पिं.प्र.
3.झुंड, समूह, दल।
  • उदा.--वीजळां झाट अविआट भांजण विढै।--अनोपसिंह सांदू
4.तलवार, कृपाण।
  • उदा.--गोगा वीरम वैर कज्ज यूं वाही अविअट--वी.मा.
  • उदा.--कलीआंण सोरठ कनड़ौ बज परज कालंग बहंगड़ौ, अघड नट थट करत अविअट चपट चटपट बाज चट चट।--मुरादास बारहठ
सं.स्त्री.--
वि.[सं.अविकट] ललित, मनोहर।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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