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आंटी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
वक्र, टेढ़ी, मुड़ी हुई।
  • कहावत--1.आंटी टूटी गवां री रोटी--यद्यपि रोटी आँटी-टेढ़ी है पर गेहूँ की है.
  • कहावत--2.कुत्ते की पूंछ दस वरस जमीं में राखी, निकाळी तौ फेर आंटी'र आंटी.
  • कहावत--3.कुत्ते री पूंछ सदा आंटी री आंटी--जिस आदमी की बुरी आदत किसी प्रकार न छूटे।
1.ईर्ष्या, वैर, शत्रुता।
  • उदा.--तिण रै च्यार बेटा, लायक सारीकै माथै, च्यारांई भायां आंटी करी, अहड़स हुई तरै वीच मांणसे फिरनै कह्यौ ''सिंघासण छत्र वीच मेलौ, च्यांरे ही भाई सिंघासण री पाखती वैसौ।--नैणसी
2.कुश्ती का एक पेंच विशेष।
3.उलझन, फंदा।
  • उदा.--मूरख कूं समझाइये औगुण करि बूझे रे, आपा की आंटी पड़ी सति साच न सूझे रे।--ह.पु.वा.
सं.स्त्री.[सं.अंड]


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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