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आंधी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
प्रखर वायु जिसमें उड़ने वाली धूलि या गर्द से चारों ओर अंधेरा छा जाता है, तूफान, झंझावात। पर्याय.--अंधारी, झंकड़, डूंज, बावळ।
  • कहावत--1.आंधी पछै मेह आवै--आँधी के साथ वर्षा आती है, कन्या के बाद पुत्र होता है.
  • कहावत--2.आंधी रांड मेहां री पाली रेवै--राजस्थान में आँधियाँ बड़े जोर से चलती हैं और घंटों चलती रहती हैं, पीछे मेह प्रायः आता है और मेह के आने पर ही वे दबती हैं, प्रकृतिनिरीक्षण का अनुभव, दुष्ट व्यक्ति सभी की बात नहीं सुनते, जो उनसे जबरदस्त होता है उसी के मना करने पर बुरे काम से विरत होते हैं.
  • कहावत--3.आंधी साथै मेह आया ही करै--आँधी के साथ वर्षा आया ही करती है.
  • कहावत--4.आंदी में मोर चालै ज्यूं किंया चालै--आँधी में मोर चलता है वैसे डगमगाता हुआ कैसे चलता है?
वि.
'आंधौ' शब्द का स्त्री लिंग, देखो 'आंधौ'।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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