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आखर  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.अक्षर
अक्षर, वर्ण, हरुफ। देखो 'अक्खर'।
  • उदा.--कपळा कवळी नै बारै पुचकारै, लाखर लाखर अै आखर मनमारै।--ऊ.का.
  • कहावत--आखर जात अहीर--आखिर तो अहीर जाति का है, आखिर तो मूर्ख बना रहा, आखिर तो नीच ही है। श्रीकृष्ण के लिए भक्तों का प्रेमपूर्ण ताना।
क्रि.वि.[फा.आखिर] आखिर, अंत में।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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