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आभा  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.
चमक-दमक, कांति, दीप्ति, झलक, छाया, शोभा, ज्योति, प्रकाश।
  • उदा.--1..जमना जा गंग मिळी, गंग जा मिळी समंदां। आभा भरिया इंद, साख पूरी रव चंदां।--महारांणा जयसिंह रौ गीत
  • उदा.--2..आभा कहतां सोभा सु तौ महल मांहे, अनेक अनेक रंग का चितरांम छै।--वेलि.टी.
  • उदा.--3..अउं नमसते चंडका चंद्र भाळ री नवीन आभा।--नवलजी लाळस
  • उदा.--4..आभा आंगण री अन मांगण नै आई।--ऊ.का.


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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