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आरंभ  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.किसी कार्य की प्रथमावस्था का संपादन, शुरू, श्रीगणेश, प्रारम्भ।
  • उदा.--एकंत उचित क्रीड़ा चौ आरंभ दीठौ सु न किहि देव दुजि।--वेलि.
2.बड़ा कार्य.
3.उपद्रव, युद्ध।
  • उदा.--दुरग तणै साथै दुझल, करनहरा कुळ थंभ। कचरावत विजपाल सा, आदरियौ आरंभ।--रा.रू.
4.जलसा.
5.तैयारी।
  • उदा.--आज किण सीस आरंभ इसा।--महादांन महड़ू
6.वैभव।
  • उदा.--दया जहां आरंभ नहीं, आरंभ दया न होय।--ह.पु.वा.


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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