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आरण  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.आ+रण
युद्ध, लड़ाई।
  • उदा.--गैदंतौ पाडाखुरौ, आरण अचळ अघट्ट। भूंडण जणै सु भू भलौ, थोभै अरियां थट्ट।--हा.झा.
2.लुहार की भट्टी।
  • उदा.--तट गंगा तपियौ नहीं, नह जपियौ नरसीह। जड़ तैं आरण धमण जिम, दम गमियां बहु दीह।
3.लोहार का लोहे का बना एक उपकरण जिस पर गर्म लोहा रख कर पीटा जाता है।
  • उदा.--रुकमइयौ पखि तपत आरणि रणि, पेखि रुखमणी जळ प्रसन।--वेलि.
4.वन, जंगल।
  • उदा.--हे! आरण रा हिरणां थे महर करौ। सीता री बात सुणाय उपकार करौ।--गी.रां.
5.श्मशान भूमि में जागी हुई प्रेत टोली.
6.तलवार, कृपाण।
[सं.आहरण]
सं.पु.[सं.अरण्य]
सं.स्त्री.--


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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