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आसण, आसन  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.आसन
1.घोड़े व ऊँट की पीठ का वह स्थान जहां सवारी करते हैं अथवा जीण या चारजामे पर बैठने के स्थान पर रखा जाने वाला उपकरण।
  • उदा.--पड़्‌या कई आसण जीण उपेत। चढ़्‌या असवार पड़्‌या अणचेत--मे.म.
2.स्थिति, बैठक, बैठने की विधि.
3.बैठने की वस्तु, वह वस्तु जिस पर बैठा जाय, पीढ़ा.
4.योगियों के बैठने की 84 विभिन्न विधियां या रीतियां--1.अंगुस्ठासण, 2.अरधपादासण, 3.अध्वासण, 4.अरधकूरमासण, 5.अरधसवासण, 6.अपनासण, 7.आनन्दमंदिरासण, 8.उष्ट्रासण, 9.उरधवसंयुक्तासण, 10.उत्थित विवेकासण, 11.उरधवधनुसासण, 12.उत्कटासण, 13.उपधानासण, 14.एकपाद व्रक्षासण, 15.कुक्कुटासण, 16.कूरमासण, 17.कंदपीड़नासण, 18.कोकिलासण, 19.कारमुकासण, 20.क्षेमासण, 21.खंजनासण, 22.गोरक्षासण, 23.गरुड़ासण, 24.ग्रन्थिभेदनासण, 25.गरभासण, 26.चक्रासण, 27.ज्येष्ठिकासण, 28.ताडासण, 29.त्रिस्तंभासण, 30.त्रिकोणासण, 31.दक्षिणापादअपानगमनासण, 32.दक्षिणवक्रासण, 33.दक्षिणसाखासण, 34.दक्षिणतरकासण, 35.दक्षिणचतुरथासपादासण, 36.दक्षिणपादसिरासण, 37.दक्षिणजान्ह्वासण, 38.द्विपादपारस्वासण, 39.द्रढ़ासण, 40.धीरासण, 41.धनुसासण, 42.निस्वासण, 43.पद्मासण.(i) बद्धपद्मासण (ii) अरधपद्मासण (iii) उरधपद्मासण (iv) वामारधपद्मासण, 44.पवनमुक्तासण, 45.पस्चिमतानासण, 46.पूरणपादासण, 47.पूरवतरकासण, 48.प्रारथनासण, 49.परवतासण, 50.प्राणासण, 51.पवनासण, 52.भुजंगासण, 53.मंडूकासण, 54.मयूरासण, 55.मत्स्येंद्रासण, 56.मत्स्यासण, 57.योन्यासण, 58.लोलासण, 59.वांमहस्तचतुस्कोणासण, 60.वांमपादअपानगमनासण, 61.वांमसाखासण, 62.वांमजान्वासण, 63.वांमवक्रासण, 64.वांमअरधपादासण, 65.वांमहस्तभयंकरासण, 66.वांमभुजासण, 67.वातायनासण, 68.वांमदक्षिणस्वासगमनासण, 69.वीरासण, 70.वांमदक्षिणपादासण, 71.व्रक्षासण, 72.वांमसिद्धासण, 73.सवासण, 74.सिद्धासण, 75.स्थिरासण, 76.स्वस्तिकासण, 77.स्थितविवेकासण, 78.सिंहासण (व्याघ्रासण), 79.सलभासण, 80.सरवांगासण, 81.समानासण, 82.हस्तभुजासण, 83.हस्तव्रक्षासण, 84.हंसासण।
  • उदा.--पलकां रै ऊपर पग धर आजौ तौ हिवड़ा रै आसण आप विराजौ।--गी.रां.
5.कामशास्त्र के अंतर्गत सुरति (संभोग) की विविध रीतियाँ.
6.योग के अष्टांग योग का तीसरा अंग।
  • उदा.--अर जम नियम आसण प्रांणांयाम प्रत्याहार धारणा ध्यांन सातूं ही अंगां रौ जय करि अस्टम अंग समाहित भाव में निस्चळ होय आपही निरुपाधिक ध्येय रौ रूप धार लीधौ।--वं.भा.
7.निवास, डेरा.
8.चूतड़.
9.हाथी का कंधा जिस पर महावत बैठता है।
  • उदा.--इभ चाकर माकर उछट उठि आसण आया, बारी बाहर लेण कौ आलांण छुड़ाया।--वं.भा.
10.सेना का शत्रु के सम्मुख डटा रहना.
11.कुश या ऊन का बना बैठक जिस पर बैठ कर पूजा की जाती है.(अल्पा.आसणियौ).
12.सवारी, वाहन।
  • उदा.--तंती नाद तंबोळ रस, सुरह सुगंधी जांह। पग मोजां आसण तुरी, किसौ दिसावर त्यांह।--ढो.मा.


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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