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उदर
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.पेट, जठर (ह.नां.)।
कहावत--
उदर रौ खाडौ समुंदर सूं ऊंडौ है--उदर का गड्ढ़ा समुद्र से भी अधिक गहरा है; उदर को रोजाना भोजन द्वारा भरते हैं फिर भी दूसरे दिन खाली मिलता है।
2.किसी वस्तु के मध्य का भाग, मध्य, पेटा.
3.गर्भ।
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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