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उद्धरण  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.किसी लेख या पुस्तक में किसी दूसरे लेख या पुस्तक के किसी अंश को ज्यों का त्यों रखना या दोहरा देना, अविकल रूप से नकल करना.
2.फँसे हुए को निकालना, त्रांण, उद्धार। वि.--उद्धार करने वाला।
  • उदा.--खत्रियांण मांण महि उद्धरण एक छत्रि आलम कहै। गायत्रि मंत्र गहलोतगुर तिंहिं प्रताप सरणै रहै।--अज्ञात


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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