सं.पु.
1.नसतरंग बजाने वाला।
- उदा.--कळहंस जांणगर मोर निरत कर, पवन ताळधर ताळपत्र। आरि तंतिसर भमर उपंगी, तीवट उघट चकोर तत्र।--वेलि.
2.संगीत में एक प्रकार का तार वाद्य, इस वाद्य के नीचे तूंबे पर चमड़ा मंढ़ा होता है और चमड़े में से एक तार डांड पर आता है, डांड की खूंटी ढीली होती है जिसे मुट्ठी में पकड़ा जाता है और तार को कसा या ढीला किया जाता है। दूसरे हाथ से तार पर आघात करते हैं। उसमें स्वर और ताल दोनों का काम होता है। (रू.भे.अपंग, उपंग)