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ओज  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.ओजस्‌
1.बल, कौशल, प्रताप, पराक्रम।
  • उदा.--या कुमणैती कंत री, और न पूगै ओज। चमठी खाली होवतां, नमठी चाली फौज।--वी.स.
2.उजाला, प्रकाश.
3.वीरता आदि का आवेश पैदा करने वाला एक काव्य गुण.
4.शरीर के भीतर के रसों का सार भाग, काँति [रा.]
5.पेट.
6.पशुओं के मरने पर उनके पेट में से निकलने वाला मैला.
7.उष्णता, गर्मी।
  • उदा.--जानि दिवाकर जेठ मैं बहु ओज बढ़ाया।--वं.भा.


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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