सं.पु.
सं.क+पट्+अल्
1.अपने इष्टसाधन के हेतु हृदय की बात छिपाने की वृत्ति, छल, प्रतारण, दुराव, छिपाव।
2.धोखा। पर्याय.--कूट, कूड़, कैतव, छदंभ, छंद, छदम, छळ छेतरण, ठग, तोत, दंभ, द्रोह, परवाद, मनद्रोह, विपद, विपदेस, ब्याज। क्रि.प्र.--करणौ, राखणौ।
3.बहत्तर कलाओं के अंतर्गत एक कला।