सं.पु.
सं.कृ=करना+तव्य=कर्त्तव्य
1.कर्त्तव्य।
- उदा.--1..दतब करतब ये दोढ़ा दरसाता। सारी प्रथवी ये सोढ़ा सरसाता।--ऊ.का.
- उदा.--2..मेछां आगळ माथ, निवै नहीं नर-नाथ रौ। सौ करतब समराथ, पाळै रांण प्रतापसी।--दुरसौ आढ़ौ
2.किये हुए कार्य, काम, प्रारब्ध।
- उदा.--भगवत करता ने करतब भुगतावै। पिछला पापां रा पांमर फळ पावै।--ऊ.का.
6.हुनर.[सं.कृ=हिंसा करना+तव्य, कर्त्तव्य]
7.छल, कपट, पाप कर्म।
- उदा.--थाया संपत थाट, भंवर कंवर सुख भोगवै। म्हें की आळे माट, कतरब री गूंझी 'करन'।--अज्ञात
8.दान।
- उदा.--मोसर किम भूलै राव मारू, तौ सिरखा देसोत तिके। जोड़ै करतब तणै न जूता, जोड़ै घोड़ा खड़ै जके।--ओपौ आढ़ौ
[सं.कृ.=छितराना+तव्य, करितव्य]