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कलम  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
1.किसी पेड़-पौधे की वह टहनी जो कहीं अन्यत्र लगाने के लिये काटी जाय।
  • मुहावरा--कलम करणौ--काटना, छाँटना।
2.लेखनी।
  • मुहावरा--1.कलम घिसणी--बराबर लिखते रहना.
  • मुहावरा--2.कलम चलणी--लिखना, अच्छा कलम होना जो ठीक लिखे.
  • मुहावरा--3.कलम चलाणी--लिखना, तेज लिखना.
  • मुहावरा--4.कलम तोड़णी--मार्मिक बात लिखना, ज्यादा लिखना.
  • मुहावरा--5.कलम फेरणी--गलत लिखे हुए को काटना.
  • मुहावरा--6.कलमबंद करणौ--नोट कर लेना, लिख लेना.
  • मुहावरा--7.कलम में जोर होणौ--लिखने में प्रभाव होना.
  • मुहावरा--8.कलम री जीभ--कलम का वह भाग जिससे लिखते हैं.
3.मान, प्रतिष्ठा.
4.कलमा पढ़ने वाला मुसलमान (डिं.को.)
  • उदा.--रंजै कर धूंकळ रवताळौ, अर हाथळ भंजै अलम। सजै जाय जठी सादूळौ, कुण गंजै हिंदू कलम।--नवलजी लाळस.
5.सोने के आभूषणों में नगीना जड़ने के लिए स्थान बनाने का औजार.
6.रंग भरने की बालों की कूँची.
7.कान के ऊपर के कनपटियों के पास के बाल।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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