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कल्प
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.वेद का एक अंग जिसमें यज्ञादि करने का विधान है.
2.वैद्यक के अनुसार रोग निवृत्ति की एक युक्ति.
3.एक प्रकार का नृत्य.
4.समय का एक विभाग। इसे ब्रह्मा के एक दिन के बराबर माना जाता है जो 14 मन्वंतर या 4320000000 वर्ष का होता है।
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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