सं.पु.
सं.कलंद
1.दाग, धब्बा, अपयश, लांछन।
- मुहावरा--1.कळंक लागणौ--बदनाम होना.
- मुहावरा--2.कळंक लगाणौ--बदनाम करना, लांछन लगाना।
- कहावत--कळंक रौ टीकौ लागणौ ही है--जब लाचारी से कोई बुरा काम करना पड़े, तब चाहे अच्छा काम करो चाहे बुरा, कलंक तो लगेगा ही।
3.पाप (अ.मा.) वि.--काला, श्याम* (डिं.को.)