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कवल
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
1.वादा, प्रतिज्ञा, कौल, इकरार।
उदा.--
म्हे तौ लीयौ
कवल
कराय हौ रघुनंदजी, अब देतां फाटे हीयौ हौ रघुवरजी।--गी.रां.
2.कौर, ग्रास।
उदा.--
नीला मौ पहली पड़ै, कीध उतावळ कांय। बाल्हा
कवलां
पाळियौ, पड़तौ मूझ पुगाय।--वी.स.
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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