वांछित शब्द लिख कर सर्च बटन क्लिक करें
अंत्यानुप्रास ढूंढें
कसण
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.कृशानु
1.आग, अग्नि, हुतासन।
उदा.--
बिण रिव बोम
कसण
ज्योति बिण, धाराहर बिण जसी धर।--अज्ञात
2.कंचुकी का बंधन।
उदा.--
नाग फणां का तड़कली, छोटि
कसण
पयोहर खींची।--वी.दे.
3.बंधन, कसन।
उदा.--
1.गहड़ घड़ कांमणी करै पांणै ग्रहण, करगि खग वाहतौ जुवा जूसण
कसण
।--हा.झा.
उदा.--
2..कांमणियां तणै तांणिये
कसणै
मोहै दूजां तणा मण(न), 'राजड़ा' रांण रहै रळियावत, कसियां जरदाळै कसण।--जोगीदास कवारियौ
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
Project
|
About Us
|
Contact Us
|
Feedback
|
Donate
|
संक्षेपाक्षर सूची