सं.पु.
सं.किट्ट
1.जंग, लोह-कीट, मुरचा.
2.कलंक, दोष।
- उदा.--कुळ में लागै काट, काट में जूता खावै। अंग में होय उचाट, जाट जोगी बण जावै।--ऊ.का.
2.ऐब, अवगुण।
- उदा.--कमनीय करे कूं कूं चौ निज करि, कळंक धूम काढ़े बे काट।--वेलि.
6.ताश के खेल में तुरप का रंग.
7.किसी वस्तु में कमीवेशी.
9.पाप।
- उदा.--कारणी तीरथां मुदै झारणी कळंक काट, मांनवां ऊधारणी मुगत दाता माय।--गंगाजी रौ गीत