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काट  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.किट्ट
1.जंग, लोह-कीट, मुरचा.
2.कलंक, दोष।
  • उदा.--कुळ में लागै काट, काट में जूता खावै। अंग में होय उचाट, जाट जोगी बण जावै।--ऊ.का.
2.ऐब, अवगुण।
  • उदा.--कमनीय करे कूं कूं चौ निज करि, कळंक धूम काढ़े बे काट।--वेलि.
3.कपट, छल.
4.वैर.
5.क्रोध.
6.ताश के खेल में तुरप का रंग.
7.किसी वस्तु में कमीवेशी.
8.खण्डन.
9.पाप।
  • उदा.--कारणी तीरथां मुदै झारणी कळंक काट, मांनवां ऊधारणी मुगत दाता माय।--गंगाजी रौ गीत


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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