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काल  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.कल्य
आगामी आने वाला दूसरा दिन।
  • कहावत--1.काल कण देखी है--'कल' किसने देखा है; भविष्य की कोई नहीं जानता.
  • कहावत--2.काल करै सौ आज कर आज करै सो अब--किसी भी कार्य को शीघ्र कर डालना चाहिये, उसे भविष्य पर नहीं छोड़ना चाहिये.
  • कहावत--3.काल की जोगण पत्तर में पादै--नये व्यक्ति द्वारा पुराने व्यक्तियों की बराबरी या नकल करने पर.
  • कहावत--4.काले कठी उच्छेऔ--बेकार की अनिश्चित बात पूछने पर.
  • कहावत--5.काले री कालै देखीसी (गई)--भविष्य की चिंता वर्तमान में करना उचित नहीं.आलसी व्यक्तियों के प्रति।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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