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कियां
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
क्रि.वि.
1.क्यों.
2.कैसे।
उदा.--
चौपदार अरज कीवी--इसी बात सुण महाराज
कियां
बैसि रहै।--पलक दरियाव री वात
कहावत--
1.आंधी में मोर चालै ज्यूं कियां चालै है--डगमगाते एवं लड़खड़ाते हुए चलने पर.
कहावत--
2.कियां करै जांणै नातै आयोड़ी ढेढ़णी करै--निर्लज्ज नखरे करने पर। बार-बार हँसने पर (स्त्रियों के लिए)
कहावत--
3.कियां देखै जांणै कागलौ नींबोळी कांनी देखै--ललचाई हुई नजर से टकटकी लगा कर देखने वाले के प्रति (व्यंग्य).
कहावत--
4.कियां देखै जांणै गैली बजार कांनी देखै--अज्ञानवश आश्चर्यचकित होने वाले पर व्यंग.
कहावत--
5.कियां नाचै जांणै हंसराज री घोड़ी नाचै--अति चंचल पर व्यंग.
कहावत--
6.कियां फिरै जांणै विगड़ियोड़ै व्याव में नाई फिरै--असफल प्रयत्न करने वाले पर व्यंग।
3.किधर।
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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