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किस्मत  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
अ.
प्रारब्ध, भाग्य, तकदीर।
  • मुहावरा--1.किस्मत उलटणी--अभाग्य आना, कुअवसर आना, काम में सफलता न मिलना.
  • मुहावरा--2.किस्मत खुलणी, किस्मत चमकणी--नाम फैलना.
  • मुहावरा--3.किस्मत जागणी, किस्मत दौड़णी--सुअवसर आना, भाग्य खुलना.
  • मुहावरा--4.किस्मत पलटणी--भाग्य फिरना, भाग्य का अच्छे से बुरा या बुरे से अच्छा होना.
  • मुहावरा--5.किस्मत फिरणी--देखो 'किस्मत पलटणी'.
  • मुहावरा--6.किस्मत फूटणी--बुरा समय आना, अभागा होना.
  • मुहावरा--7.किस्मत बिगड़णी--देखो 'किस्मत उलटणी'.
  • मुहावरा--8.किस्मत में लिखियोड़ौ पूरौ होणौ--भाग्य का लिखा बुरा या अच्छा फल मिलना.
  • मुहावरा--9.किस्मत में लिखियोड़ौ होणौ--होनहार का होना, जो लिखा है वही होगा।
  • कहावत--किस्मत रौ घाटौ--बुरे दिन आना, काम में सफलता न मिलना।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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