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कीचड़  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
गीली मिट्टी, पंक, कीची, दल-दल (अल्पा.'कीचड़ौ')
  • उदा.--चांपज्यौ मती वांरा चरण, कांप-कांप रौ कीचड़ौ। फांफ री दे'र मुख फेरज्यौ, खांप खांप रौ खीचड़ौ।--ऊ.का.
  • मुहावरा--कीचड़ में पड़णौ, कीचड़ में फसणौ--दुःख में पड़ना, गंदे मनुष्यों के व्यवहार में फँसना।
पर्याय.--करदम, कादौ, गारौ, चीखलौ, चीखिल्लक, जंबाळ, पंक।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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