सं.स्त्री.
सं.कटुका
1.पश्चिमी और पूर्वी घाटों में तथा अन्य पहाड़ी प्रदेशों में होने वाला एक क्षुप। इसकी जड़ में गोल-मोल बेडौल गांठें पड़ती हैं जो औषधि के काम आती हैं.
2.टुकड़ा।
- उदा.--मांणक मोती परत न पहरूं म्है तौ कबकी नटगी, गहणौ म्हारै माळा दोवड़ौ और चंदण की कुटकी।--मीरां