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कुटकी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.कटुका
1.पश्चिमी और पूर्वी घाटों में तथा अन्य पहाड़ी प्रदेशों में होने वाला एक क्षुप। इसकी जड़ में गोल-मोल बेडौल गांठें पड़ती हैं जो औषधि के काम आती हैं.
2.टुकड़ा।
  • उदा.--मांणक मोती परत न पहरूं म्है तौ कबकी नटगी, गहणौ म्हारै माळा दोवड़ौ और चंदण की कुटकी।--मीरां


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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