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कुबेर  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.कुबेर
यक्षों का राजा एक देवता। ये महर्षि पुलस्त्य के पोते और ऋषि विश्रवा के पुत्र थे। कुरूप होने के कारण कुबेर कहलाये। इनके 30 पैर व 8 दाँत माने जाते हैं। ये चतुर्थ लोकपाल हैं तथा भारद्वाज की कन्या देववर्णिनी इनकी माता है। नौ निधियों के ये भंडारी हैं। पर्याय.--अलकापत, उतरपत, उत्तरदिकपती, एकपिंग, एळविळी, कमळासी, कमेर, किंनरेस, किंपुरखेसर, कुमेर, कुवेर, जखराट, जखाधीस, जच्छप, दसतोदर, धनईस, धनंद, धनाधिप, नरधरमा, नरवाहण, निधि-ईसवर, पौलस्त, वैश्रवण, सितोदर, हरसखा।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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