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कुरंग
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.हरिन, मृग (अ.मा.)
2.कुम्मैत रंग का घोड़ा (शा.हो.)
3.संसार (अनेका.)
4.पतंग (अनेका.) वि.--
1.बुरे रंग का, बदरंग।
उदा.--
दळप्पति दोमझि दूथ दुरंग, कियौ कमरौ' जिण भांजि
कुरंग
।--रा.ज.रासौ
2.असुहावना.
उदा.--
हंस कर बोली माळवणि, सांभळ कहै कंत सुरंग। सगळा देस सुहांमणा, मारू देस
कुरंग
।--ढो.मा.
3.चंचल* (डिं.को.)
[सं.कु+रंग]
कुरंग, कुरंगांण
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.कुरंग
हरिण, मृग.देखो 'कुरंग' (1) (रू.भे.)
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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