सं.स्त्री.
सं.
1.धनुष का सिरा.
2.किसी अस्त्र की नोंक व धार.
6.अग्र भाग।
- उदा.--1..अर दैव रै परतंत्र प्रतापसिंघ अरिसिंघ दोही गयंदां रै बीच आया।
- उदा.--2..एक तरफ तट दुरगम, एक तरफ द्रह अगाध, देखि दोही वीरां मूंछां रा अग्र भुंहारां री कोटि लिया अर अस्वमेध सत्र रा फळ देणहार दोही गजां रै सांम्है पैंड दिया।--वं.भा.
7.जलाशय का वह स्थान जहाँ लोग जल-पात्र भरते हैं, घाट।
- उदा.--वपु नील मझि इम बखांण, जगमगत घटा मझ छटा जांण। त्रिय कोटि कोटि इम सरुज तीर, नग झटित भरत घट हेम नीर।--सू.प्र.
- उदा.--नमौ लख कंद्रप कोटि लावन्न, नमौ हरि मारण रूप मदन्न।--ह.र.