सं.स्त्री.
सं.
1.किसी प्रकार का व्यापार, कर्म.
2.प्रयत्न, चेष्टा, हिलना-डोलना.
4.व्याकरण का वह अंग जिससे किसी व्यापार का होना या करना पाया जाय.
5.शौच आदि कर्म, नित्यकर्म.
6.श्राद्ध आदि प्रेत कर्म.
9.न्याय या विचार का साधन.
11.मृत्यु के बाद तीसरे, नवें, ग्यारहवें तथा बारहवें दिन किये जाने वाले संस्कार।